Saturday, October 30, 2010

हे माँ सरस्वती ज्ञान दे

हे माँ सरस्वती ज्ञान दे
अंतर की निद्रा तोड़ सकूं
तू आज मुझे वरदान दे
चिंता सकल मैं छोड़ सकूं

एक नया उत्साह हो
एक नया उजियाला हो
अपने गीतों से मैं माँ
बिखरे समाज को जोड़ सकूं

भ्रष्ट हुआ संसार ये कह कर
अपना जीवन न बिसराऊँ
औरों से आगे मैं बढ़ कर मैं
ये उलटी धरा मोड़ सकूं

हे माँ सरस्वती ज्ञान दे
वरदान दे

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