Friday, May 4, 2012

चश्म-ऐ-नम जब धुवाँ धुवाँ होगी


चश्म-ऐ-नम जब धुवाँ धुवाँ होगी
तब मेरी हर ग़ज़ल जवाँ होगी

लडखडाती है गर जुबाँ अबतक
बात आँखों से ही बयाँ होगी

फासले ही अगर ये मिट जाएँ
फिर वो दिल में खलिश कहाँ होगी

अर्श पर टूटते सितारों में
तेरी सूरत भी तो अयाँ होगी

आज 'चक्रेश' चुप यहाँ बैठे
सोचता है के वो कहाँ होगी

उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही

  उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं  रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा  ख़ुद के हा...