चश्म-ऐ-नम जब धुवाँ धुवाँ होगी
तब मेरी हर ग़ज़ल जवाँ होगी
तब मेरी हर ग़ज़ल जवाँ होगी
लडखडाती है गर जुबाँ अबतक
बात आँखों से ही बयाँ होगी
फासले ही अगर ये मिट जाएँ
फिर वो दिल में खलिश कहाँ होगी
अर्श पर टूटते सितारों में
तेरी सूरत भी तो अयाँ होगी
आज 'चक्रेश' चुप यहाँ बैठे
सोचता है के वो कहाँ होगी
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आभार |
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