कुछ शब्द बादलों से मिलते हैं
कुछ आसमाँ से
कुछ फूलों से, कलियों से, मौसम और बहारों से
कुछ शब्द नदियों से मिलते हैं
कुछ झीलों से
कुछ समंदर से, लहरों से, चट्टानों और साहिलों से
पर कुछ ऐसे भी शब्द है मेरे हमदम
जो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लबों के तबस्सुम पर हैं
जो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी बातों में, तुम्हारी आँखों में
तुम्हारे चेहरे पर और तुम्हारी जुल्फों से मिलते हैं
तुम सैकड़ों मैकदों का मद लिए अपने आँखों में
तुम सातों समन्दरों की उफान लिए अपनी आँखों में
तुम ग़ज़लों की किताब हो
तुम काव्य का स्वरुप हो
जो शब्द तुममे मिलते हैं
वो शब्द कहीं और नहीं मिलते
तुम पास होती हो, तो ग़ज़ल होती है
तुम दूर होती हो तो ग़ज़ल होती है
लोग मुझसे अक्सर पूछा करते हैं
के मैं शायर कैसे बना ?
तुम्ही कह दो के मैं उनसे क्या कह दूं ?
-ckh-
कुछ आसमाँ से
कुछ फूलों से, कलियों से, मौसम और बहारों से
कुछ शब्द नदियों से मिलते हैं
कुछ झीलों से
कुछ समंदर से, लहरों से, चट्टानों और साहिलों से
पर कुछ ऐसे भी शब्द है मेरे हमदम
जो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लबों के तबस्सुम पर हैं
जो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी बातों में, तुम्हारी आँखों में
तुम्हारे चेहरे पर और तुम्हारी जुल्फों से मिलते हैं
तुम सैकड़ों मैकदों का मद लिए अपने आँखों में
तुम सातों समन्दरों की उफान लिए अपनी आँखों में
तुम ग़ज़लों की किताब हो
तुम काव्य का स्वरुप हो
जो शब्द तुममे मिलते हैं
वो शब्द कहीं और नहीं मिलते
तुम पास होती हो, तो ग़ज़ल होती है
तुम दूर होती हो तो ग़ज़ल होती है
लोग मुझसे अक्सर पूछा करते हैं
के मैं शायर कैसे बना ?
तुम्ही कह दो के मैं उनसे क्या कह दूं ?
-ckh-
1 comment:
आभार ||
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