मेरी हर बात पे हाँ हो ये ज़रूरी तो नहीं
मेरे जैसा ही जहाँ हो ये ज़रूरी तो नहीं
कभी बागीचे से पूछो जीस्त के फलसफे
हर सु मौसम मेहरबाँ हो ये ज़रूरी तो नहीं
तू न समझा के लिखा करता था इतना क्यूँ भला
तू भी उतना परेशाँ हो ये ज़रूति तो नहीं
नीम की छाँव में सोया सोचा करता हूँ तुझे
कोई मुझपर मेहरबाँ हो ये ज़रूरती तो नहीं
सोच कर लाल हुआ चेहरा 'चक्रेश' जो उसे
आज वो भी पशेमाँ हो ये ज़रूरी तो नहीं
4 comments:
बहुत खूबसूरत.......................
दाद कबूल करें.
:) shukriya...behr me nahi la paya is gazal ko achche se...
kabhi fursat mein sahi karonga..
thanx a lot fro reading and appreciating.
Regards,
Chakresh.
मेरी हर बात पे हाँ हो ये ज़रूरी तो नहीं
मेरे जैसा ही जहाँ हो ये ज़रूरी तो नहीं ।
वाह बहुत खूब । शुक्रिया इस खूबसूरत गज़ल के लिये ।
Thanks Asha ji.
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