कहना चाहा बहुत कह न पाया कभी
और फिर चैन से रह न पाया कभी
कुछ मुलाक़ात में आप क्या हो गए
क्यूँ भला फासले सह न पाया कभी
अलविदा की घड़ी जैसे थम सी गयी
वक़्त उससे निकल बह न पाया कभी
PS: The meter of this Gazal is same as that of the famous gazal in the voice of Jagjit ji: "aap ko dekh kar dekhata reh gaya".
5 comments:
बहुत खूब सर!
सादर
बहुत ही खूबसूरत शेर कहे हैं आपने । बधाई !
बहुत सुन्दर......
छोटे बहर की सुंदर गज़ल.....
अनु
sundar sher
शुक्रिया दोस्तों
-ckh-
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