- ▼ 2013 (27)
- ▼ July (14)
- On Freedom and Society
- Science and Mysticism: Are they compatible?
- कैसे अब हम भूलें तुम्हें मुश्किल है
- I am and I just am
- Enigma
- Brahma
- Swami Dayanand Saraswati Teachings of Vedanta
- HINDU
- In Conversation with Vivekananda
- History in The Year 2094
- And the eunuch danced again
- मेरे वादे पे ऐतबार नहीं
- dard itana kyun diya khudaaya toone
- Sochata hun ke wo (Nusrat Fateh Ali Khan) Translat...
- ▼ July (14)
- ▼ 2012 (85)
- ▼ May (18)
- बातों में उसकी, जादूगरी थी
- Mankind, Indian society and an Individual
- स्वछन्द ख़याल
- कहना चाहा बहुत कह न पाया कभी
- मेरी हर बात पे हाँ हो ये ज़रूरी तो नहीं
- समंदर के राहें तकता जीवन
- ----ग़ालिब ---
- ये ज़रूरी तो नहीं
- कोई इलज़ाम दे रहा था हमें
- कोई आवाज़ क्यूँ लगाता है
- कैसे कैसे रंग जीवन - my last poem
- दिल जिसे याद करके बिखरता रहा
- हर कोई इक सफ़र में है
- तू न आया न तेरा सलाम आया
- तुम्ही कह दो के मैं उनसे क्या कह दूं ?
- काश मैं कह सकूं
- चश्म-ऐ-नम जब धुवाँ धुवाँ होगी
- हम दुकान सजाते रहे और बाज़ार उठ गया,
- ▼ May (18)
- ▼ 2011 (76)
- ▼ 2010 (130)
- ▼ October (13)
- एक ख़त आखिरी
- हे माँ सरस्वती ज्ञान दे
- हम को नहीं था ये पता के हम यहाँ मेहमान थें
- bachpan
- रंज बन के जब धुवाँ आँखों पे यूँ ही छा गया
- जीवन का ये आजीवन कारावास
- उन दिनों तुम न थे
- सिन्दूरी आँचल शाम के बादल
- धूल से ढंकी कुछ किताबें
- सोचने कब दिया
- Secret of Blissful life..revealed in The Lotus tem...
- शाम होते ही तलास-ऐ-आशियाँ होने लगी
- ये शाम कहीं फिर मुझसे न
- ▼ April (12)
- ‘People’, ‘society’ and ‘need’
- उलझनें जीवन की
- अंत अनंत का है नहीं फिर
- अंतिम दिन जीवन के
- for all my batchmates @ISM
- ये जिंदगी by Sanjay Bhaskar
- सृष्टी एक अनंत रचना
- कुछ पन्ने थें अधूरे दिल की किताब के
- तारीफ़ करता था शेरों की जो अपने नहीं थें
- एक तस्वीर
- My pursuit to know LIFE
- आज होठों पे हैं दिलबर अफसाना तेरा
- ▼ March (31)
- फिर सजा बाज़ार मौला आज तेरे शेहेर में
- LIfe, so far
- प्रांगन में था पेड़ बरगद का, मैंने देखा नहीं
- दादी
- वो वाली कहानी सुना दो
- निः शब्द मन
- हार
- धर्मं का भी आँगन कितना श्वेत है ?
- शतरंज
- मुद्दत हुई मयकदे गए
- मुहब्बत की स्याही वाही कलम
- जनम दिवस (मेरा)
- प्रतीक्षा
- तिनका तिनका टुकड़ा टुकड़ा
- कुछ ने कहा है चाँद
- इक घडी हुआ करती थी
- खिलौना टूट गया
- जब कभी
- एक ग़ज़ल तेरे नाम कर गए
- ये अनुरोध कैसा है
- और कुछ नहीं
- दंगे
- लम्हों को जिया करो
- कोई आईना दिखाता ही नहीं
- कल नए फूल लगा दूंगा
- Let there be some sun shine
- जीवन के रंग रूप
- आज का अर्जुन
- आज का अर्जुन
- रंग अकेलेपन के
- ये बालक
- ▼ October (13)
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