आगे खड़े होकर स्कूल जाना
गेट पर खड़े रहना
अन्दर जाने से घबराना
वो भारी बस्ता टांग कन्धों पर
सर झुका टीचर से शर्माना
गले में टाँगे पानी की बोतल
लंच में टिफिन चुराना
पापा तेरे आने तक गेट पर
खुद को फुसलाना बहलाना
याद आ रहा आज सब कुछ
वो स्कूल से कॉलेज तक आना
और आज अचानक इक कंपनी में
यूँ ही placed हो जाना
पापा तेरे कन्धों से उतर आज
मैंने ये माना
ये उचाई कितना कम है, कितना
कठिन है तुझसा कद पाना
खुसी मनाऊं, गाने गाऊँ
या याद करूँ तेरी थाली में खाना ?
पापा मुझे ये सब नही चाहिए
घर से दूर बस नही जाना
मेरी पीड़ा मैं ही जानू
क्या नापेगा कोई पैमाना ?
और इसपर बधाई लगती है मानो
रूठे मन पर ताना
पापा अब क्या कहूँ मैं तुमसे
अब तक बस इतना जाना ....
तेरे बिन नही हूँ कुछ भी
दुःख दे गया नौकरी पाना |
2 comments:
simply awesome.......
its our hard fate that we can't be with our family even after completion of study. You really expressed our feelings.
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