कुछ बातें भूल सकता हूँ ...कुछ भूल सकता नही
कुछ याद रहता नही मुझे, कभी कुछ भूल सकता नही ...................................0
पल भर का इक मोड़ पर रुक जाना, वो ठहराव क्या था ?
अनजान पथिक संग बहते चले जाना, वो बहाव क्या था ?
आज पूछ रहा हूँ अकेला दीवारों से मैं
दे गया बिछड़ कर जो वो मुझे, आखिर वो घाव क्या था ?
कुछ घाव सह सकता हूँ, कुछ सह सकता नही
कुछ बातें भूल सकता हूँ , कुछ भूल सकता नही ..................................................1
हार कर तकलीफ में मुझे, वो पुकारना क्या था ?
हाथ मेरा थाम तूफ़ान में, वो समहलाना क्या था ?
पूछ रहा हूँ आज हंस कर खुद से मैं
फिर इक दिन मुझे अनजान कह, वो मुह फेर लेना क्या था ?
कुछ बेरुखी माफ़ कर सकता हूँ , कुछ भी माफ़ कर सकता नही
कुछ बातें भूल सकता हूँ , कुछ भूल सकता नही ......................................................2
मुझसे सारी बातें बताना , वो अटूट विशवास क्या था ?
मुझमें सब कुछ उचित पाना, वो मुझमें ख़ास क्या था ?
पूछ रहा हूँ सब जान कर भी मैं
बाज़ार में मुझे नीलाम करने का, वो प्रयास क्या था ?
लुटा सकता हूँ सब कुछ, कुछ लुटा सकता नही
कुछ बातें भूल सकता हूँ कुछ भूल सकता नही....................................................3
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
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(Note: Though I am not good at Urdu, its not my mother tounge, but I have made an attempt to translate it. I hope this will convey the gist...
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(Ram V. Sir's explanation) vAsudhEvEndhra yogIndhram nathvA gnApradham gurum | mumukshUNAm hithArThAya thathvaboDhaH aBiDhIyathE || ...
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जिन दिनों उम्र पर तन्हाई का बुखार था टूटता शरीर और ह्रदय तार-तार था चिलचिलाती धुप में छाँव ढूंढ रहा था मैं वीरानी पड़ी बस्तियों में गाँव ढूंढ...
1 comment:
awesome!... nicely worded with emotions,
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