बातों में उसकी, जादूगरी थी
वो मेहज़बीं एक, कमसिन परी थी
बालों में गज़रे, होटों पे लाली
चन्दन से तन पे, साड़ी हरी थी
पहला वो दिन था, पहली शरारत
दिल डोलता था, धड़कन डरी थी
चाहा बहुत पर, कुछ कह ना पाया
कहने की लेकिन, कोशिश करी थी
कैसा वो दिन था, वो सामने थी
जैसे हथेली पे, किस्मत धरी थी
छूकर के जिसने, दिल की कलम में
गजलों की खातिर, स्याही भरी थी
दिल भूल जा अब, उसके फ़साने
नादान तूने, गलती करी थी
-ckh-
2 comments:
जाना था उसको सो बातें बनायीं
समझे हम उसकी बातें खरी थी......
:-)
हमारे कमेन्ट स्पैम में चले जाते है शायद ....प्लीस देख लें........
अनु
अनु जी वाकई comments spam काफी में पड़े थें. माफ़ी चाहूँगा.
बहुत धन्यवाद मुझे पढने और हौसला बढाने के लिए
-ckh-
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