घुंघरू न बांधता
ख़्वाबों के पाँव
में
मैं मर गया
होता इस धूप
छाँव में
बच्चों की टोलियां
लो दौड़ वो
पड़ीं
लॉरी कोई देखो
आई जो गाँव
में
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)