Wednesday, July 23, 2014

फूल सब खार बन गए होंगे



फूल सब खार बन गए होंगे 
हर्फ़ बेज़ार बन गए होंगे 

चार दिन बज़्म में नहीं बैठा 
रिन्द फनकार बन गए होंगे

दिन में क्या देखूं मैं ज़माने को
लोग किरदार बन गए होंगे 

जा रहा है तो ये भी मुमकिन है 
और कुछ यार बन गए होंगे

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मेरे सच्चे शेर

 बड़ा पायाब रिश्ता है मेरा मेरी ही हस्ती से ज़रा सी आँख लग जाये, मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ (पायाब: shallow)