हमने दिल के
दरवाज़ों से, सौ
बार कहा चुप
रहने को
बाम-ओ-दर
की आवाज़ों से,
सौ बार कहा
चुप रहने को
मुमकिन है के
ख़ामोशी में, वो
नाम हमारा लेती
हो
लेकिन ऐसे अंदाज़ों
से, सौ बार
कहा चुप रहने
को
हर सपना पूरा
हो जाए, ऐसी
तो कोई शर्त
नहीं
उम्मीदों की परवाज़ों
से, सौ बार
कहा चुप रहने
को
गर जिन्दा रहना इक
शै थी, तो
इक शै थी
मज़बूरी भी
मुफ़लिस-जाँ ने
सब नाज़ों से,
सौ बार कहा
चुप रहने को
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