घुंघरू न बांधता
ख़्वाबों के पाँव
में
मैं मर गया
होता इस धूप
छाँव में
बच्चों की टोलियां
लो दौड़ वो
पड़ीं
लॉरी कोई देखो
आई जो गाँव
में
अंतिम दिन जीवन के यदि ये
पीर हृदय की रह जाए
के दौड़-धूप में बीत गए पल
प्रियतम से कुछ ना कह पाएँ
उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नहीं… याद करके, टूट जाने, सी तबीयत ही नहीं रोग सा, भर के नसों में, फिल्मी गानों का नशा ख़ुद के हा...
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