कभी गुमसुम, कभी हैराँ,
कभी नाशाद कर
देंगी
तेरी यादें, मेरे हमदम,
मुझे बर्बाद कर
देंगी
कोई दिन और
बाकी हैं शब-ऐ-फुरकत
गुज़रने दो
मुझे मुझसे मेरी साँसे
रिहा आज़ाद कर
देंगी
नहीं मुमकिन ज़माने से
मिले बिन मैं
गुज़र जाऊं
मेरी ग़ज़लें कोई शायर,
सफर के बाद
कर देंगी
1 comment:
तेरी यादें मेरे हमदम मुझे बर्बाद कर देंगी,,,, वाह
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