Thursday, March 11, 2010

तिनका तिनका टुकड़ा टुकड़ा

तिनका तिनका टुकड़ा टुकड़ा चुन चुन के पैगाम लिखा
इक ख़त अपने दिल की बातों का हमने तेरे नाम लिखा

तुमको देखूं तो जाने छाती है क्या खामोशी
अब तक जो कुछ कह न पाया वो सब दिल को थाम लिखा

सच कहते है सब पीने वाले मय में कोई बात है
हमने भी आज मैखाने जाकर हाथों में ले जाम लिखा

रहता है तू दिल में मेरे है दिल के कितना करीब
एय बासिन्दे दिल की गलियों के प्यार का पहला सलाम लिखा

बेखुदी येही है शायद दीवानगी इसी का नाम
इक इक करके सब लिख गए हम अपना पता न नाम लिखा

3 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत बढ़िया

संजय भास्‍कर said...

हर रंग को आपने बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

chakresh singh said...

dhanayavaad sir, mujhe padne aur apna shen dene ke liye

उन पे रोना, आँहें भरना, अपनी फ़ितरत ही नही

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